Sunday, July 27, 2014

एक पटकनी और.…!

     उत्तर-प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 2014 चुनाव में एक भी मुस्लिम सांसद लोकसभा में नहीं पहुँचा। मुसलमानों का हमेशा वोट ठगने की जुगत में, अपने आपको मुसलमानों का सबसे बड़ा 'मसीहा' होने का दिखावा करने बाली "समाजबादी पार्टी" से उम्मीद लगायी जा रही थी, कि 'मैनपुरी लोकसभा उप-चुनाव' में वह किसी मुस्लिम प्रत्याशी को उतारेगी। यहाँ एक बार फिर, "सपा सुप्रीमो" के परिवारबादी मोह ने आखिरकार लोहिया जी के समाजबाद को पटकनी दे मारी, और "सपा सुप्रीमो" के परिवार के दर्जनभर विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद आदि-आदि बन जाने के बाद भी उनके वंशबाद की भूख शांत नहीं हुई, और अब उनके प्रपौत्र (भतीजे के पुत्र) तेज प्रताप यादव मैनपुरी से लोकसभा उप-चुनाव प्रत्याशी के रूप में अवतरित कर दिये गये !
     मुसलमानों का सबसे बड़ा 'मसीहा' होने का झूठा दिखावा करने के साथ ही उनको हक़ो से वंचित भी रखने के अलावा, एक यक्ष प्रश्न यहाँ और भी उभरता है, कि श्री मुलायम सिंह यादव के परिवार के अतिरिक्त किसी "अन्य यादव परिवार" में क्या ऐसा कोई भी सक्षम, योग्य, मनीषी, जन-सेवक व्यक्ति नहीं है जो मैनपुरी से लोकसभा उम्मीदवार बनने के 'लायक' होता ?
     यूँ  तो समस्त उत्तर-प्रदेश निवासी, लेकिन विशेषकर मुस्लिम और यादव भाई-बहन, वर्षों से चले आ रहे झूठे समाजबाद (Pseudo Secularism) का चोला उढ़ाये "सपा सुप्रीमो" के परिवारबाद के चरम पर गहनता से विचार करें, और फिर फ़ैसला लें, कि आख़िर कब तक सामाजिक, जातिगत, मज़हबी भेदभाव की फसलें उगा-उगाकर अपने परिवार-जनों का "कैरियर" बनाया जाता रहेगा, और दौलत का साम्राज्य खड़ा किया जाता रहेगा ? कुःशासन की बानगी के तौर पर, नारी सुरक्षा को तार-तार कर देने के अलावा, तीन वर्षों के 'सपाई शासनकाल' में हुये लगभग 150 दंगों की तपिश तो उत्तर-प्रदेश की निर्दोष जनता ने ही झेली है, और झेल रही है, "सपा सुप्रीमो" का परिवार तो 'सरकारी सुरक्षा' में महफ़ूज़ रहकर 'माल' समेटने में लगा है। रही बात, चहुँ ओर विश्व में बह रही इक्कीसवीं-सदी के विकास की बयार की, तो कोसों दूर है अपना अभागा 'उत्तर-प्रदेश', इन जैसे 'शासकों' के चंगुल में।


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