Tuesday, July 15, 2014

कश्मीर परिपेक्ष्य में डॉ वैदिक


     हाल की एक ग़ैर सरकारी निजी पाकिस्तान यात्रा के दौरान वरिष्ठ भारतीय पत्रकार डॉ वेद प्रताप वैदिक जी ने गत 29 जून, 2014 को पाकिस्तानी "डॉन न्यूज़ चैनल" को दिये साक्षात्कार में कश्मीर परिपेक्ष्य में जो अपने विशुद्ध निजी विचार व्यक्त किये थे, उससे कश्मीर पर या वहाँ के लोगों की तथाकथित आज़ादी के बारे में विभिन्न व्याख्यायें या भ्रान्तियाँ अवतरित हो सकती हैं, लेकिन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सम्पूर्ण अविभाजित कश्मीर का विलय भारत में अंतिम रूप से किया जा चुका था। सम्पूर्ण जम्मू एवं कश्मीर का भारत का अभिन्न अंग होने का सत्य उतना ही अटल है, जितना कि सूर्य का पूरब से उदय होकर पश्चिम में अस्त होना। 
     भारतवर्ष का इतिहास साक्षी है कि कश्मीर समस्या के जनक पंडित जवाहर लाल नेहरू थे, जो तत्समय सरदार बल्लभभाई पटेल की सलाह की भी अनदेखी करके, न जाने अपने किस निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु, बिना ज़रुरत, कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र संघ में घसीट ले गये थे ? तत्समय पाकिस्तानी कबीलों का कश्मीर के छोटे से भाग पर किया गया अतिक्रमण तो समाप्ति के बिंदु पर था।
     वर्तमान में पाकिस्तान ने कश्मीर के कुछ हिस्से पर जो अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर रखा है, वो पूर्णतया अनधिकृत है, और उसको वापस पाने के लिये भारत सदैव दृढ़ एवं कृत संकल्पित है।
     श्रद्धेय डॉ वैदिक जी ही नहीं अपितु प्रत्येक भारतवासी को कश्मीर पर भारत की राष्ट्रीय नीति से इतर अपनी निजी राय व्यक्त करने से परहेज़ करना कदाचित अधिक श्रेयष्कर होगा।

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