साक्षात्कार लेने या देने के नाम पर एक पत्रकार या स्तम्भकार बन्धु की सीमायें वहाँ तक कदापि नहीं बढ़ जातीं, कि वह राष्ट्र-नीति एवं विदेश नीति का स्वयं अपने अनुसार निर्धारण एवं व्याख्या करने लगे और यहाँ तक कि अपने विदेश-प्रवास में उसको प्रचारित-प्रसारित करने लग जाये। वरिष्ठ भारतीय पत्रकार/ स्तम्भकार डॉ वेद प्रताप वैदिक जैसे किसी भी भारतीय पत्रकार या स्तम्भकार बंधु को यह बात शीघ्रतातिशीघ्र भली-भाँति समझ लेना राष्ट्रहित में होगा।
मर्यादाओं का उल्लंघन भारतीय क़ानून के कड़े प्रावधानों की कसौटी पर कसा जाना चाहिये।
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