गत पाँच वर्षों (2009 से 2014) में CBSE बोर्ड के इण्टरमीडिएट छात्र-छात्राओं पर अंको की रहस्यमयी बरसात हुई है! इन पाँच वर्षों में CBSE बोर्ड में छात्र संख्या बृद्धि केवल 64% हुई, जबकि 95% + अंक पाने वालों की बृद्धि 780% हुई है। इन पाँच वर्षों में देश के अन्य माध्यमिक शिक्षा बोर्डों जैसे यूपी बोर्ड, ISC बोर्ड आदि में CBSE बोर्ड सरीखा बेमेल तथ्य (Mis-match) नहीं पाया गया है।
ऐसी रहस्यमयी वेमेल परिस्थितियों में अंडर-ग्रेजुएट एडमिशन्स में सुव्यवस्थितिकरण (Normalization) या समभाव संख्या-प्रणाली परिमाण (Scaling Process) प्रक्रिया बिशुद्ध बेमानी है।
यूनिवर्सिटीज तथा डिग्री कॉलेजेज में अंडर-ग्रेजुएट एडमिशन्स समस्त बोर्डों के सामूहिक विद्यार्थियों के इण्टरमीडिएट में प्राप्तांकों के आधार पर "कट-ऑफ" सूची प्रक्रिया न अपनाकर या तो "प्रवेश-परीक्षा" के आधार पर हों, या प्रत्येक बोर्ड की सीटें अलग-अलग आरक्षित की जाएं, जिससे कतिपय बोर्डों की नम्बर लुटाने की साज़िश-पूर्ण अंधेरगर्दी में अन्य इण्टरमीडिएट बोर्डों के बच्चों में न तो निराशा का संचार हो और न ही उनका जीवन बर्बाद हो।
ऐसी रहस्यमयी वेमेल परिस्थितियों में अंडर-ग्रेजुएट एडमिशन्स में सुव्यवस्थितिकरण (Normalization) या समभाव संख्या-प्रणाली परिमाण (Scaling Process) प्रक्रिया बिशुद्ध बेमानी है।
यूनिवर्सिटीज तथा डिग्री कॉलेजेज में अंडर-ग्रेजुएट एडमिशन्स समस्त बोर्डों के सामूहिक विद्यार्थियों के इण्टरमीडिएट में प्राप्तांकों के आधार पर "कट-ऑफ" सूची प्रक्रिया न अपनाकर या तो "प्रवेश-परीक्षा" के आधार पर हों, या प्रत्येक बोर्ड की सीटें अलग-अलग आरक्षित की जाएं, जिससे कतिपय बोर्डों की नम्बर लुटाने की साज़िश-पूर्ण अंधेरगर्दी में अन्य इण्टरमीडिएट बोर्डों के बच्चों में न तो निराशा का संचार हो और न ही उनका जीवन बर्बाद हो।
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