Thursday, July 9, 2020

**पुलिस और अपराध का गठबंधन**

पुलिस, धन कमाने के लालच में मनचाही पोस्टिंग करवाने के लिए राजनेताओं के तलवे चाटती है। खद्दरधारी नेताओं के पाप खाकीबर्दी के अंदर दफ़न करने के लिये पुख़्ता गठजोड़ों को अन्जाम दिया जाता है।

मलाईदार कमाई के थानों में पोस्टिंग के लिए लाखों-करोड़ों की बोलियां लगाई जाती हैं। इन थानों के द्वारा की गयी कमाई नीचे से ऊपर तक बटती है।

मार्केट्स के बरामदों, फुटपाथों और सड़कों पर दुकानदारों का अतिक्रमण पुलिस की इजाजत से होता है जहां से हजारों-लाखों रुपए की रोज उगाही की जाती है।


आपराधिक क़ानूनी प्रावधानों और अदालती निर्णयों के सर्वथा विपरीत एफआईआर दर्ज़गी से लेकर, पुलिस तफ़्तीश और आरोप-पत्र के दाखिले तक का सफर भारतीय क़ानून की कमर तोड़ के रख देता है, और मज़ाल कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पुलिसिया ज़्यादतियों पर नकेल कस सके। भारत में पीड़ित आम इंसान के द्वारा एफआईआर दर्ज़ करवाना एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। पुलिस आरोपी का कद, घूस की रक़म और मामले में सिफारिशों के वजन का अनुमान लगाकर ही एफआईआर दर्ज करती है या मना कर देती है, तेल लेने गयीं अदालती नजीरें और कानूनी प्रावधान !


हमाम में सब के सब नंगे है।
मरने को मजबूर है आम इंसान 😢

**अनेश कुमार अग्रवाल, एडवोकेट
** 09/07/202
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Friday, January 12, 2018

भारतीय न्याय व्यवस्था का काला दिन !

     *सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के आंतरिक प्रशासन जैसे 'रॉस्टर' बनाने, बेंचों द्वारा अमुक मामलों की सुनवाई निर्धारित करने आदि के मुद्दों में उपजी आपत्ति जजों द्वारा प्रेस-कांफ्रेंस करके जनता में उछालना क्या ठीक प्रक्रिया है?
उत्तर होगा "कदापि नहीं"। क्योंकि यह न्यायालय की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंचाने और न्यायिक अवमानना की कार्यवाही है।
     *अदालती मामलों में फ़ैसले, केसों की मेरिट के बजाय क्या इस बात पर निर्भर करने लगे हैं कि कौन से जज या बेंच द्वारा सुनवाई करने से किस प्रकार का 'जजमेंट' प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर होगा कि "यदि ऐसा है तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और घोर अन्यायपूर्ण स्थिति है।"
     *कांग्रेस, वामपंथी जैसी भारत की राजनैतिक पार्टियों ने 2019 के पार्लियामेंट चुनाव की तैयारी "सुप्रीम कोर्ट के चार माननीय जजों की भयानक भूल" के जरिए बयानबाज़ी करके अपना उल्लू साध लेना और संदेहास्पद 'मिस-टाइम्ड' मुलाक़ात करके शुरू कर दी है?
 उत्तर है कि देश और उसकी स्वतंत्र न्यायपालिका के भले के लिये कृपया इस 'आंतरिक' विवाद से दूर रहें, देश आभारी रहेगा।  हमारी स्वतंत्र न्यायपालिका में अपनी आंतरिक कठिनाइयों को निबटाने की भरपूर क्षमता है।
     भारतीय न्याय व्यवस्था में 12 जनवरी 2018 (शुक्रवार) का दिन क्या फिर से एक बार काला-दिन सिद्ध होगा? कुछेक बार पहले भी धब्बे लग चुके हैं जैसे सुप्रीम कोर्ट को रात में 2–2½ बजे खुलवाकर सुनवाई करके गलत नज़ीर पेश कर देना, आदि आदि! भारतीय आम जनमानस की आख़री उम्मीद न्यायालय ही होता है।
** अनेश कुमार अग्रवाल 
** 12/01/2018

Friday, April 28, 2017

पेट्रोल पम्पों द्वारा डकैती !

          आम जन मानस के साथ पेट्रोल पम्पों, सीएनजी पम्पों पर हो रही खुल्लम-खुल्ला लूट में शामिल पंप-मालिकों, पंप-कर्मचारियों और उत्तरदायी सरकारी "बाबुओं" पर रासुका, गैंगस्टर, आई०पी०सी० आदि क़ानून के तहत कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये।
          लम्बे अर्से  से जनता से लूटी गयी रक़म इन लुटेरों से "रिकवर" (Recover) करके देश के सैनिक कल्याण कोष में जमा करा देना चाहिये।  
          कृपया देखिये 'नवभारत टाइम्स' लखनऊ संस्करण, दिनाँक 28.04.2017, पेज सं० 1 और 2 की 'न्यूज़ क्लिपिंग्स' -

 
 

Friday, March 24, 2017

अयोध्या मुद्दे का हल !

           पवित्र काबा शरीफ़ (मक्का, सऊदी अरब) सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान है। उनका जन्म आज से लगभग 1400 साल पहले सन 570 में हुआ था। पवित्र काबा शरीफ़ की मस्ज़िद-अल-हरम दुनिया भर के मुसलमानों के लिये अत्यंत विशिष्ट तथा पवित्र मस्ज़िद है।
          यूँ तो सऊदी अरब में अन्य अनेक स्थानों पर सड़क या अन्य विकास कार्यों के लिये मस्जिदों को समय-समय पर एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थानों पर निर्मित किया गया है, ऐसे अनेक उदाहारण मौज़ूद हैं। लेकिन पवित्र काबा शरीफ़ की मस्ज़िद-अल-हरम के स्थान परिवर्तन का विचार भी मस्तिष्क में लाना "नितांत असंभव" है, क्योंकि यहाँ सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान है।
          ठीक इसी प्रकार भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म-स्थान पवित्र गर्भगृह-स्थल, अयोध्या (भारत) है, यहीं पर भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ था। यहाँ भगवान श्री रामचंद्र जी साक्षात् प्रतिमा स्वरुप विराजमान हैं। यह पवित्र स्थल कोई सामान्य पूजा स्थल नहीं है, वरन यह अत्यंत विशिष्ट, पवित्र तथा दुनियाभर के समस्त हिन्दुओं के लिये सर्वथा पूज्यनीय भक्ति एवं तीर्थ-स्थल है। अतः इसके स्थान परिवर्तन का विचार भी मस्तिष्क में लाना "पाप" के समान है।
           इसी प्रकार ईसाई धर्म के अनुयायियों के गॉड, प्रभु यीशु मसीह का जन्म आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व बैथलेहम (वर्तमान में फलीस्तीन देश में स्थित) में 5 B.C. को हुआ था। प्रभु यीशु मसीह के जन्म-स्थान पर बना पवित्र चर्च उनके जन्म के 565 साल बाद यहूदियों और समरटियनों के संघर्ष में ध्वस्त हो गया था। वर्तमान में इसी स्थान पर चर्च का पुनर्निर्माण कर इसको भव्य स्वरुप प्रदान किया गया है। बैथलेहम स्थित पवित्र चर्च दुनियाभर के ईसाइयों के लिये सबसे पवित्र और ख़ास जगह मानी जाती है। ये येरूशलम से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है। ईसाइयों के लिये बैथलेहम का यह "चर्च ऑफ़ दी नेटिविटी" दुनिया का सबसे पूज्यनीय चर्च माना जाता है, जहाँ प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। इस तीर्थ-स्थल पर दुनियाभर के ईसाई आकर अपने जन्म को धन्य मानते हैं।
          यदि किसी मज़हब के सामान्य पूजा-गृह या पूजा-स्थल जैसे सामान्य मंदिर-मस्ज़िद-गिरिजाघर  की बात होती, तब स्थान परिवर्तन पर विमर्श संभव हो सकता था। लेकिन अयोध्या मसले में तो मामला ही बिल्कुल अलग है।
          जिस प्रकार सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान काबा शरीफ़ है, उसी प्रकार भगवान श्री रामचंद्र जी का पवित्र जन्म-स्थान अयोध्या स्थित गर्भ-गृह है।
          बेबजह, अयोध्या विवाद के दो असामान्य तथ्यों को तराजू पर लटका कर बराबर-बराबर तोले जाने की हठधर्मिता की जा रही है, जो किसी भी दृष्टिकोण- धार्मिक, नैतिक, सामाजिक, तार्किक, विधिक रूप से धारणीय (Sustainable) नहीं हो सकता। दरअसल, अयोध्या मुद्दे के धार्मिक महत्व एवं आस्थाओं को ग़ैर बराबरी की बुनियाद पर ढकेलकर ऐसी ओछी पेशबंदी की जा रही है, जैसे यह एक साधारण ज़मीन-जायदाद के मालिकाना हक़ का मामला हो! या ये देश में स्थित हज़ारों-लाखों पूजा-स्थल या इबादतगाहों की स्थलीय अवस्थिति (Spot Location) के विवाद का मामला हो! आख़िर भारतीय इतिहास में बाबर एक दुर्दांत आक्रांता (Attacker) के रूप में वर्णित है या एक श्रेष्ठ मानवीय गुणों से परिपूर्ण शासक के रूप में?
          एक तरफ, देश में स्थापित एक मज़हब के लाखों पूजा-स्थलों की भाँति एक अन्य सामान्य पूजा-स्थल का मामला है, और दूसरी तरफ दूसरे मज़हब के भगवान (ईष्टदेव) के जन्म-स्थान का मामला है! एक तराजू में दोनों की तुलना कैसे संभव है?
          इसलिये देश के मुस्लिम भाइयों-बहनों से यह सादर अपेक्षा है कि गर्भ-गृह स्थल, अयोध्या में संसार भर के हिन्दुओं के परम आराध्य भगवान श्री रामचंद्र जी के जन्म-स्थान पर भव्य राम-मंदिर के निर्माण में सहयोग प्रदान करने की कृपा करें।

*** अनेश कुमार अग्रवाल (एडवोकेट)
*** मार्च 24, 2017    

Sunday, September 18, 2016

वोटर कार्ड बनाने का "ड्रामा" !

श्रीमान मुख्य चुनाव आयुक्त नई दिल्ली,
श्रीमान मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ
श्रीमान जिलाधिकारी, लखनऊ

     आज दिनांक 18 सितंबर 2016 (रविवार) को राजकीय वास्तुकला महाविद्यालय, टैगोर मार्ग, डालीगंज, लखनऊ पोलिंग बूथ पर नए मतदाता पहचान पत्र बनवाने, तथा उनमें सुधार करवाने आदि हेतु जो कैंप लगा है उसमें उपस्थित निर्वाचन से संबंधित कर्मचारीगण :-

1. वांछित फार्म नहीं रखे हुए हैं,
2. अधिकांश क्षेत्रीय जनता के वोटर आई कार्ड उपलब्ध न होने का कारण बताकर मतदाताओं को टरका रहे हैं,
3. 01से 03 वर्ष पूर्व जमा किए गए फॉर्म-6 के वोटर आई कार्ड अभी तक न बन पाने की बात कह रहे हैं,
4. करेक्शन हेतु फॉर्म-8 उपलब्ध नहीं है,
5. दुरुस्त एवं सम्पूर्ण वोटर लिस्ट भी बूथ पर उपलब्ध नहीं है,
6. संबंधित बीएलओ मतदाताओं के घर पर कभी नहीं आते हैं।

     इन उपरोक्त कारणों से नागरिकों के मतदान का संवैधानिक अधिकार छीना जा रहा है। ज्ञातव्य है कि यह वह पोलिंग बूथ है जिस पर अनेकों आयोजनों पर बीएलओ आते ही नहीं है। यदि कोई व्यक्ति कैंप लगने के नाटक में कभी उपलब्ध भी हो जाता है तो वह BLO का प्रॉक्सी मात्र होता है इस कारण मतदान फार्म जमा करने पर रसीद नहीं देता है।

मैं स्वयं भी अपना तथा अपने परिवार का वोटर कार्ड बनवाने के लिए गत लगभग 3 वर्षों से आज़ तक असफल रूप से प्रयासरत हूं। यदि संवैधानिक कार्य निष्पादित करने में आप शीर्ष अधिकारीगण असमर्थ और असफल हैं तो कृपया पद त्याग करके सक्षम व्यक्तियों को आगे आने का अवसर दें, जिससे भारत के नागरिकों के संवैधानिक अधिकार जैसे मतदान करने के अधिकार की रक्षा हो सके।

अनेश कुमार अग्रवाल
18.09.2016
मो0 - 9198884444
E-Mail : anesh25@gmail.com


दि0  18.09.2016 को उक्त पोलिंग बूथ के पाँच फ़ोटोग्राफ़ -
 

Saturday, August 13, 2016

जय अक्षर पुरुषोत्तम ब्रह्म विलीन परम पूज्यनीय प्रमुख स्वामी जी महाराज !

**** जय स्वामी नारायण भगवान् !

**** जय अक्षर पुरुषोत्तम ब्रह्म विलीन परम पूज्यनीय

प्रमुख स्वामी जी महाराज !



     आज (13 अगस्त 2016, शनिवार) पृथ्वी से मानवरूप में विद्यमान ईश्तत्व परम पूज्यनीय प्रमुख स्वामी जी महाराज, अक्षर पुरुषोत्तम ब्रह्म में विलीन हो गये। इस पृथ्वी पर मानव रूप में 94 वर्षों तक सशरीर विद्यमान रहकर श्रेष्ठतम मानवीय सद्गुणों का संचार कर धर्म एवं मानवता की उन्होंने सच्ची सेवा की।
     यद्पि आज की घड़ी हम पृथ्वी वासियों के लिये असीम वेदना दायक है, फिर भी शांत मन और भाव से हम सभी को परम पूज्यनीय प्रमुख स्वामी जी महाराज का स्मरण करते हुये अक्षर पुरुषोत्तम ब्रह्म श्री स्वामी नारायण भगवान् के श्री चरणों में प्रार्थना करना चाहिये। 
     हम सब परम पूज्यनीय प्रमुख स्वामी जी महाराज के चरणों में अपनी विनम्र श्रधांजलि अर्पित करते हैं!
श्रद्धावनत :
अनेश कुमार अग्रवाल
दि० 13.08.2016

Friday, July 22, 2016

"लड़की पेश करो!"

"लड़की पेश करो!"
"लड़की पेश करो!"
     सुश्री मायावती जी की पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और उनके समर्थकों का ये बड़ा पुराना, "तिलक तराजू और तलवार इनके मारो जूते चार" से भी ज़्यादा फायदेमंद "टेस्टेड" राजनैतिक 'बिरासती'  नारा है।
     दशकों पहले एक प्रसिद्ध दलित नेता श्री दीना नाथ भास्कर, जो बसपा के संस्थापक सदस्य एवं माननीय श्री कांशीराम जी के विश्वस्त सहयोगी थे, से किसी मतभेद पर हज़रतगंज लखनऊ में बसपाइयों ने कल ही की तरह बड़ा 'उत्पात' मचाते हुये श्री दीना नाथ भास्कर के विरोध में भी "लड़की पेश करो!" "लड़की पेश करो!" के नारे लगाये थे।
    अब दयाशंकर सिंह की लड़की को पेश करवाकर ये बसपाई उस "निर्दोष" लड़की के सम्मान की क्यों धज्जियाँ उड़ाना चाहते थे? ये कौन सी गुंडागर्दी है, जिस पर प्रशासन मौन है? सख़्त से सख़्त सज़ा दी जानी चाहिये, सड़कपर उतर कर घोर उत्पात करने वाले ऐसे राजनैतिक गुंडों को, उनके समर्थकों को और उन निर्लज्ज सरवराहों को जो राज्यसभा में दयाशंकर की निर्दोष धर्मपत्नी एवं बेटी के सम्मान को तार-तार कर अपने राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं की बीमार बेल को सींच रहे थे।
     मृत-शैय्या पर पड़ी, भ्रष्टाचार के लकवे से पीड़ित बसपा को उसके भोले-भाले समर्थकों को उकसाकर "दयाशंकर प्रकरण" को संजीवनी बूटी की तरह सुश्री मायावती इस्तेमाल करने की असफ़ल कोशिश कर रहीं हैं।
***अनेश कुमार अग्रवाल
** 22.07.2016