पवित्र काबा शरीफ़ (मक्का, सऊदी अरब) सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान है। उनका जन्म आज से लगभग 1400 साल पहले सन 570 में हुआ था। पवित्र काबा शरीफ़ की मस्ज़िद-अल-हरम दुनिया भर के मुसलमानों के लिये अत्यंत विशिष्ट तथा पवित्र मस्ज़िद है।
यूँ तो सऊदी अरब में अन्य अनेक स्थानों पर सड़क या अन्य विकास कार्यों के लिये मस्जिदों को समय-समय पर एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थानों पर निर्मित किया गया है, ऐसे अनेक उदाहारण मौज़ूद हैं। लेकिन पवित्र काबा शरीफ़ की मस्ज़िद-अल-हरम के स्थान परिवर्तन का विचार भी मस्तिष्क में लाना "नितांत असंभव" है, क्योंकि यहाँ सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान है।
ठीक इसी प्रकार भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म-स्थान पवित्र गर्भगृह-स्थल, अयोध्या (भारत) है, यहीं पर भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ था। यहाँ भगवान श्री रामचंद्र जी साक्षात् प्रतिमा स्वरुप विराजमान हैं। यह पवित्र स्थल कोई सामान्य पूजा स्थल नहीं है, वरन यह अत्यंत विशिष्ट, पवित्र तथा दुनियाभर के समस्त हिन्दुओं के लिये सर्वथा पूज्यनीय भक्ति एवं तीर्थ-स्थल है। अतः इसके स्थान परिवर्तन का विचार भी मस्तिष्क में लाना "पाप" के समान है।
इसी प्रकार ईसाई धर्म के अनुयायियों के गॉड, प्रभु यीशु मसीह का जन्म आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व बैथलेहम (वर्तमान में फलीस्तीन देश में स्थित) में 5 B.C. को हुआ था। प्रभु यीशु मसीह के जन्म-स्थान पर बना पवित्र चर्च उनके जन्म के 565 साल बाद यहूदियों और समरटियनों के संघर्ष में ध्वस्त हो गया था। वर्तमान में इसी स्थान पर चर्च का पुनर्निर्माण कर इसको भव्य स्वरुप प्रदान किया गया है। बैथलेहम स्थित पवित्र चर्च दुनियाभर के ईसाइयों के लिये सबसे पवित्र और ख़ास जगह मानी जाती है। ये येरूशलम से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है। ईसाइयों के लिये बैथलेहम का यह "चर्च ऑफ़ दी नेटिविटी" दुनिया का सबसे पूज्यनीय चर्च माना जाता है, जहाँ प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। इस तीर्थ-स्थल पर दुनियाभर के ईसाई आकर अपने जन्म को धन्य मानते हैं।
यदि किसी मज़हब के सामान्य पूजा-गृह या पूजा-स्थल जैसे सामान्य मंदिर-मस्ज़िद-गिरिजाघर की बात होती, तब स्थान परिवर्तन पर विमर्श संभव हो सकता था। लेकिन अयोध्या मसले में तो मामला ही बिल्कुल अलग है।
जिस प्रकार सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान काबा शरीफ़ है, उसी प्रकार भगवान श्री रामचंद्र जी का पवित्र जन्म-स्थान अयोध्या स्थित गर्भ-गृह है।
बेबजह, अयोध्या विवाद के दो असामान्य तथ्यों को तराजू पर लटका कर बराबर-बराबर तोले जाने की हठधर्मिता की जा रही है, जो किसी भी दृष्टिकोण- धार्मिक, नैतिक, सामाजिक, तार्किक, विधिक रूप से धारणीय (Sustainable) नहीं हो सकता। दरअसल, अयोध्या मुद्दे के धार्मिक महत्व एवं आस्थाओं को ग़ैर बराबरी की बुनियाद पर ढकेलकर ऐसी ओछी पेशबंदी की जा रही है, जैसे यह एक साधारण ज़मीन-जायदाद के मालिकाना हक़ का मामला हो! या ये देश में स्थित हज़ारों-लाखों पूजा-स्थल या इबादतगाहों की स्थलीय अवस्थिति (Spot Location) के विवाद का मामला हो! आख़िर भारतीय इतिहास में बाबर एक दुर्दांत आक्रांता (Attacker) के रूप में वर्णित है या एक श्रेष्ठ मानवीय गुणों से परिपूर्ण शासक के रूप में?
एक तरफ, देश में स्थापित एक मज़हब के लाखों पूजा-स्थलों की भाँति एक अन्य सामान्य पूजा-स्थल का मामला है, और दूसरी तरफ दूसरे मज़हब के भगवान (ईष्टदेव) के जन्म-स्थान का मामला है! एक तराजू में दोनों की तुलना कैसे संभव है?
इसलिये देश के मुस्लिम भाइयों-बहनों से यह सादर अपेक्षा है कि गर्भ-गृह स्थल, अयोध्या में संसार भर के हिन्दुओं के परम आराध्य भगवान श्री रामचंद्र जी के जन्म-स्थान पर भव्य राम-मंदिर के निर्माण में सहयोग प्रदान करने की कृपा करें।
*** अनेश कुमार अग्रवाल (एडवोकेट)
*** मार्च 24, 2017
यूँ तो सऊदी अरब में अन्य अनेक स्थानों पर सड़क या अन्य विकास कार्यों के लिये मस्जिदों को समय-समय पर एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थानों पर निर्मित किया गया है, ऐसे अनेक उदाहारण मौज़ूद हैं। लेकिन पवित्र काबा शरीफ़ की मस्ज़िद-अल-हरम के स्थान परिवर्तन का विचार भी मस्तिष्क में लाना "नितांत असंभव" है, क्योंकि यहाँ सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान है।
ठीक इसी प्रकार भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म-स्थान पवित्र गर्भगृह-स्थल, अयोध्या (भारत) है, यहीं पर भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ था। यहाँ भगवान श्री रामचंद्र जी साक्षात् प्रतिमा स्वरुप विराजमान हैं। यह पवित्र स्थल कोई सामान्य पूजा स्थल नहीं है, वरन यह अत्यंत विशिष्ट, पवित्र तथा दुनियाभर के समस्त हिन्दुओं के लिये सर्वथा पूज्यनीय भक्ति एवं तीर्थ-स्थल है। अतः इसके स्थान परिवर्तन का विचार भी मस्तिष्क में लाना "पाप" के समान है।
इसी प्रकार ईसाई धर्म के अनुयायियों के गॉड, प्रभु यीशु मसीह का जन्म आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व बैथलेहम (वर्तमान में फलीस्तीन देश में स्थित) में 5 B.C. को हुआ था। प्रभु यीशु मसीह के जन्म-स्थान पर बना पवित्र चर्च उनके जन्म के 565 साल बाद यहूदियों और समरटियनों के संघर्ष में ध्वस्त हो गया था। वर्तमान में इसी स्थान पर चर्च का पुनर्निर्माण कर इसको भव्य स्वरुप प्रदान किया गया है। बैथलेहम स्थित पवित्र चर्च दुनियाभर के ईसाइयों के लिये सबसे पवित्र और ख़ास जगह मानी जाती है। ये येरूशलम से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है। ईसाइयों के लिये बैथलेहम का यह "चर्च ऑफ़ दी नेटिविटी" दुनिया का सबसे पूज्यनीय चर्च माना जाता है, जहाँ प्रभु यीशु का जन्म हुआ था। इस तीर्थ-स्थल पर दुनियाभर के ईसाई आकर अपने जन्म को धन्य मानते हैं।
यदि किसी मज़हब के सामान्य पूजा-गृह या पूजा-स्थल जैसे सामान्य मंदिर-मस्ज़िद-गिरिजाघर की बात होती, तब स्थान परिवर्तन पर विमर्श संभव हो सकता था। लेकिन अयोध्या मसले में तो मामला ही बिल्कुल अलग है।
जिस प्रकार सल्लल्लाहु-अलैहि-वसल्लम पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का पवित्र जन्म-स्थान काबा शरीफ़ है, उसी प्रकार भगवान श्री रामचंद्र जी का पवित्र जन्म-स्थान अयोध्या स्थित गर्भ-गृह है।
बेबजह, अयोध्या विवाद के दो असामान्य तथ्यों को तराजू पर लटका कर बराबर-बराबर तोले जाने की हठधर्मिता की जा रही है, जो किसी भी दृष्टिकोण- धार्मिक, नैतिक, सामाजिक, तार्किक, विधिक रूप से धारणीय (Sustainable) नहीं हो सकता। दरअसल, अयोध्या मुद्दे के धार्मिक महत्व एवं आस्थाओं को ग़ैर बराबरी की बुनियाद पर ढकेलकर ऐसी ओछी पेशबंदी की जा रही है, जैसे यह एक साधारण ज़मीन-जायदाद के मालिकाना हक़ का मामला हो! या ये देश में स्थित हज़ारों-लाखों पूजा-स्थल या इबादतगाहों की स्थलीय अवस्थिति (Spot Location) के विवाद का मामला हो! आख़िर भारतीय इतिहास में बाबर एक दुर्दांत आक्रांता (Attacker) के रूप में वर्णित है या एक श्रेष्ठ मानवीय गुणों से परिपूर्ण शासक के रूप में?
एक तरफ, देश में स्थापित एक मज़हब के लाखों पूजा-स्थलों की भाँति एक अन्य सामान्य पूजा-स्थल का मामला है, और दूसरी तरफ दूसरे मज़हब के भगवान (ईष्टदेव) के जन्म-स्थान का मामला है! एक तराजू में दोनों की तुलना कैसे संभव है?
इसलिये देश के मुस्लिम भाइयों-बहनों से यह सादर अपेक्षा है कि गर्भ-गृह स्थल, अयोध्या में संसार भर के हिन्दुओं के परम आराध्य भगवान श्री रामचंद्र जी के जन्म-स्थान पर भव्य राम-मंदिर के निर्माण में सहयोग प्रदान करने की कृपा करें।
*** अनेश कुमार अग्रवाल (एडवोकेट)
*** मार्च 24, 2017
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