Friday, July 22, 2016

"लड़की पेश करो!"

"लड़की पेश करो!"
"लड़की पेश करो!"
     सुश्री मायावती जी की पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और उनके समर्थकों का ये बड़ा पुराना, "तिलक तराजू और तलवार इनके मारो जूते चार" से भी ज़्यादा फायदेमंद "टेस्टेड" राजनैतिक 'बिरासती'  नारा है।
     दशकों पहले एक प्रसिद्ध दलित नेता श्री दीना नाथ भास्कर, जो बसपा के संस्थापक सदस्य एवं माननीय श्री कांशीराम जी के विश्वस्त सहयोगी थे, से किसी मतभेद पर हज़रतगंज लखनऊ में बसपाइयों ने कल ही की तरह बड़ा 'उत्पात' मचाते हुये श्री दीना नाथ भास्कर के विरोध में भी "लड़की पेश करो!" "लड़की पेश करो!" के नारे लगाये थे।
    अब दयाशंकर सिंह की लड़की को पेश करवाकर ये बसपाई उस "निर्दोष" लड़की के सम्मान की क्यों धज्जियाँ उड़ाना चाहते थे? ये कौन सी गुंडागर्दी है, जिस पर प्रशासन मौन है? सख़्त से सख़्त सज़ा दी जानी चाहिये, सड़कपर उतर कर घोर उत्पात करने वाले ऐसे राजनैतिक गुंडों को, उनके समर्थकों को और उन निर्लज्ज सरवराहों को जो राज्यसभा में दयाशंकर की निर्दोष धर्मपत्नी एवं बेटी के सम्मान को तार-तार कर अपने राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं की बीमार बेल को सींच रहे थे।
     मृत-शैय्या पर पड़ी, भ्रष्टाचार के लकवे से पीड़ित बसपा को उसके भोले-भाले समर्थकों को उकसाकर "दयाशंकर प्रकरण" को संजीवनी बूटी की तरह सुश्री मायावती इस्तेमाल करने की असफ़ल कोशिश कर रहीं हैं।
***अनेश कुमार अग्रवाल
** 22.07.2016
    

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