दिल्ली विधान-सभा चुनाव 2015 में "आप" की अभूतपूर्व विजय के लिये 'आम आदमी पार्टी' को अनेकों शुभकामनायें और बधाई।
'आम आदमी पार्टी' की इस विजय में अनेकों कारणों में से कुछ एक ये भी हैं :
(1) बीजेपी के विरुद्ध तमाम राजनैतिक दलों ने इस कहावत को भी चरितार्थ करने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ी कि सामने वाले की अगर एक आँख फोड़ने के लिये अपनी दोनों आँखें कुर्वान् कर देनी पड़े, तो कुर्वान कर दो। इस अभियान की अगुवाई कांग्रेस ने सफलतापूर्वक की।
(2) 'आम आदमी पार्टी' के विरुद्ध बीजेपी का नकारात्मक प्रचार भी उनके लिये भारी पड़ा। इसमें कार्टून प्रदर्शन सबसे प्रमुख रहा। इससे बचा जा सकता था।
(3) बीजेपी के विरुद्ध दुष्प्रचार में तमाम प्रतिपक्षी दल एक जुट दिखायी दिये, और प्रतिपक्ष के वोटों के बिखराव को उन्होंने रोका, अन्यथा बीजेपी अपने हाल के पूर्व प्रदर्शन से "मत-प्रतिशत' में कोई बहुत पीछे नहीं रही है।
(4) सम्पूर्ण विपक्ष ने बीजेपी को एक "कॉमन एनिमी (Common Enemy)" मान लिया था।
(5) अब इस "आप" की जीत की बेगानी शादी में विपक्ष के कुछेक नामचीन घोषित भ्रष्ट अब्दुल्लाओँ की दीवानगी छिपाये नहीं छिप रही है। ऐसा लग रहा है कि कोयला; टूजी; कॉमनवेल्थ; चारा घोटालेबाज़, शारदा चिट फण्ड के घपलेबाज, एनआरएचएम और स्मारक घोटालों के पराक्रमी, नोएडा अथॉरिटीज लूट के पोषक, आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने बाले सिद्धहस्तों, बुखारी जैसे धर्म की आड़ में ज़हर फ़ैलाने वालों को 'आम आदमी पार्टी' की छतरी में दुबककर अपनी-अपनी गर्दनें बाहर निकालने का मौका मिल गया है।
(6) दिल्ली जैसे छोटे राज्य में बीजेपी की पराजय कोई बहुत अहम राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। आखिर 'औसत का नियम (Law of Averages)' का सिद्धांत भी बीजेपी की अनेकोंएक सफलताओं के पथ में क्रियान्वित होना ही था, सो हुआ भी। अब बीजेपी को इन घटनाओं से सबक लेकर भविष्य की रणनीति बनानी होगी।
(6) दिल्ली जैसे छोटे राज्य में बीजेपी की पराजय कोई बहुत अहम राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। आखिर 'औसत का नियम (Law of Averages)' का सिद्धांत भी बीजेपी की अनेकोंएक सफलताओं के पथ में क्रियान्वित होना ही था, सो हुआ भी। अब बीजेपी को इन घटनाओं से सबक लेकर भविष्य की रणनीति बनानी होगी।
लेकिन :
भारत के लिये सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि पड़ोसी शत्रु देश में बैठे भारत के दुश्मन भी बीजेपी की हार पर ख़तरनाक इरादों से जश्न मना रहे हैं और फूले नहीं समा रहे हैं, उनका "आप" की जीत से कोई लेना-देना नहीं है। अतः सावधान भारत !
*अनेश कुमार अग्रवाल
12.02.2015
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