प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को हिन्दी दिवस की "बर्थ-डे" मनाने की रस्मअदायगी वाली मानसिकता को छोड़कर हिन्दी के उपयोग, प्रचार, प्रसार हेतु दृढ़-संकल्पित होने की प्रतिज्ञा करने के दिवस के रूप में मनाना चाहिये। इसके अतिरिक्त हिन्दी के निहितार्थ पूर्व में किये गये स्वयं के योगदान, यदि कोई रहे हों, का आत्मनिरीक्षण भी अवश्य किया जाना चाहिये।
*अनेश कुमार अग्रवाल
१४ सितम्बर, २०१५
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