पिछले कुछ वर्षों से यूपी की सत्ता पर बारी-बारी से क़ाबिज़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजबादी पार्टी (सपा) में गज़ब की "राजनैतिक दुश्मनी" आये-दिन जनता को दिखायी पड़ती है, लेकिन 'नोएडा अथॉरिटी', 'ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी' और 'यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी' एक साथ तीनों के सत्तासीन कर दिये गये पूर्व चीफ इंजीनियर, करप्शन किंग, अरबों-खरबों के मालिक (अभी तक के छापों के मुताबिक), यादव सिंह (नौकरी की शुरुआत जूनियर इंजीनियर के रूप में, एक दलित अधिकारी) ने काली कमाई का ऐसा अचूक मन्त्र दिया कि सपा बसपा दोनों ने यादव सिंह को तरक़्क़ी की सीढ़ियाँ चढ़ाने में अभूतपूर्व सामंजस्य दिखाया, और परस्पर योगदान दिया। वाह रे काली कमाई का चस्का !
क्या देश का क़ानून देश के अंदर बैठे गिरोह के सारे चोरों को सज़ा देने में इस बार क़ामयाब हो पायेगा ?
क्या इन "बड़े-बड़ों" के द्वारा लूटा गया काला-धन देश के ख़ज़ाने में वापस आ पायेगा ?
या फ़िर इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़कर हमेशा की तरह.……… ?
30.11.2014 (Sunday)
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