हठ और हालात में से राजनीति में हालात को चुनना सदैव श्रेयस्कर माना गया है, अन्यथा भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंक विकास स्थापना की बात दूर की कौड़ी लगने लगती है। हाल के लोकसभा चुनाव में बिहार का उदाहारण हम सबके सामने है।
परम आदरणीय बालासाहब जी ठाकरे की अब स्मृतियाँ ही शेष हैं, न कि उनका सजीव सशरीर मार्गदर्शन, और इधर मोदी जी जैसे विराट व्यक्तित्व का प्रमाणिक अभ्युदय !
आप जैसे श्रेष्ठ बुद्धिजन के लिये वास्तविकता की अनुभूति कदाचित सरल होना चाहिये। भाजपा-शिवसेना के 25 वर्ष पुराने पावन गठबंधन को बचा लीजिये।
*** निवेदक
अनेश कुमार अग्रवाल
22.09.2014
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