Saturday, March 22, 2014

सच्ची धर्मनिरपेक्षता की मिसाल

          उत्तराखण्ड टिहरी के शिवानन्द आश्रम के 71 वर्षीय महंत श्रद्धये शिवानन्द ने अपने ख़र्चे से कई बार सैकड़ो किलोमीटर का सफ़र तय कर कोर्टों के चक्कर लगाकर पुख्ता सबूतों को कोर्ट में पेश करने के आधार पर एक मुस्लिम युवक नासिर हुसैन की पैरवी करके उसको 7 वर्षों की क़ैद से ही केवल आज़ाद नहीं कराया, बल्कि सच्ची धर्मनिरपेक्षता और हिन्दू-मुसलमान के बीच सौहार्द एवं प्रेम की अनूठी मिसाल भी पेश की है। श्री नासिर हुसैन शिवानन्द आश्रम में मठ निर्माण के कार्य में लगे थे, वहीं से एटीएस ने उनको आतंकवादी होने के सन्देह पर ग़लत तरीक़े से गिरफ्तार कर लिया था। विशेष न्यायाधीश ने भी महन्त की सराहना की है। इसमें एक बात और होनी चाहिये कि बेक़सूर के ऊपर ग़ैरकानूनी कार्यवाही, गिरफ्तारी और जेल में रखने की जबाबदेही तय होकर कुसूरबारों को सज़ा मिलनी चाहिये और निर्दोष को मुआबजा मिलना चाहिये।
          दरअसल, मुसलमानों में हिंदुओं का झूठा खौफ़ दिखाकर कुछ सियासी पार्टियाँ अपनी सियासत की अर्से से दुकाने चला रहीं हैं, ऐसी पार्टियों और इस क़िस्म के लोगों के लिये हिन्दू महन्त का यह सफल प्रयास एक करारा जबाब तो है ही, सच उजागर करने की एक बेहतरीन मिसाल भी है।
          झूठी साम्प्रदायिकता के नाम पर इन घोर साम्प्रदायिक नेताओं ने मुसलमानों को आज़तक केवल वोट बैंक समझा है, कभी उनका वैसा उत्थान नहीं किया, जिसके वे हक़दार हैं। इतना ही नहीं, झूठी साम्प्रदायिकता का हौवा खड़ा करके और जातिवाद का ज़हर फैलाकर इन बेईमान सियासतदानों ने अकूत दौलत जमा कर ली है, कुछ ने तो अपने पूरे कुनवे को ही सांसद, विधायक और मंत्री बना डाला है।ऐसे साम्प्रदायिक नेताओं से साबधान रहने की ज़रूरत है। 

No comments:

Post a Comment